इस करोड़पति किसान के उगाये हुए आलुओ से बनते है McDonalds के फ्रेंच फ्राइज – २ किलो से ज्यादा का होता है हर आलू का वजन
इस करोड़पति किसान के उगाये हुए आलुओ से बनते है McDonalds के फ्रेंच फ्राइज
जहा एक तरफ अर्थव्यवस्था का तनाव और मौसम की मार आम किसान को खून के आंसू रुलाती है, वही दूसरी तरफ कुछ ऐसे किसान भी है जो अपनी सूझ बूझ के बल पर अनेक कठिनाइयों का सामना करने के बाद सही तकनीक का इस्तेमाल करके आज करोड़ों रूपये की कमाई कर रहे हैं। आइए हम आपको मिलवाते हैं एक ऐसे ही करोड़पति किसान से जिसके उगाये हुए आलुओ से बनते है McDonalds के फ्रेंच-फ्राइज| यह किसान सिर्फ आजीविका के साधन के लिए ही नहीं, बल्कि खेती एक उद्योग मानकर करते हैं। २ किलो से ज्यादा का होता है इस किसान के उगाए हुए हर आलू का वजन| आज इंडिया के इस किसान की गिनती दुनिया के सबसे सफल किसानो में की जाती है।
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इस मशहूर किसान का नाम है इस्माइलभाई रहीमभाई शेरू जिन्होंने खेती से एक नया आयाम स्थापित किया है। इस्माइलभाई गुजरात के अमीरगढ़ ताललुका के रामपुर वदला नामक गांव में रहते है| इनके पिता का सपना था कि, वे अपनी पढ़ाई पूरी कर एक अच्छी नौकरी करे| इस्माइलभाई ने भी अपने पिता की ये इच्छा पूरी करने के लिए बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की परन्तु उनका हृदय हमेशा गांव की मिट्टी से जुड़ा रहा| माता-पिता का नौकरी करने का दबाव उनके सर पर मंडराता रहा लेकिन उन्होंने पैत्रिक जमीन में ही परंपरागत खेती करनी शुरू कर की।
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कई वर्षों उन्होंने पारंपरिक तरीके से खेती करते हुए बिताए| कुछ समय बाद उन्होंने महसूस किया की आधुनिक तरीकों का इस्तमाल कर के वे बेहतर परिणाम हासिल कर सकते है और अपनी सूज-बुझ के बल पर 15 साल पहले उन्होंने मैक डोनाल्डक और फिर मैक केन जैसी मशहूर कंपनियों से सम्पर्क किया। इन कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर उन्होंने उत्तम क्वालिटी के आलू उगने शुरू कर दिए ताकि फ्रेंच फ्राइज और आलू टिक्की का स्वाद उतम हो|
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उन्होंने आलू की खेती महज चंद एकड़ की पैत्रिक भूमि में शुरू की थी जो की आज 400 एकड़ की कृषि भूमि तक पहुँच चुकी है। इन कंपनियों के साथ कांट्रेक्ट मे आने के बाद इस्माइलभाई को न की केवल खुद का माल बेचने के लिए बिचौलिए से छुटकारा मिला बल्कि आलू के और अच्छे दाम से उन्हें अपने कारोबार मे निरंतर प्रगति भी मिली। आज खेती करने से उन्हें सालाना करोड़ों रूपये का मुनाफा हो रहा है|
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इस्माइलभाई की कहानी यह दर्शाती है की कंपनियों के साथ सीधे कांट्रेक्ट में करने के लिए भी किसानो के पास विकल्प मौजूद हैं जिससे उन्हें बहुत फ़ायदा मिल सकता है। अगर कोई भी किसान उत्तम गुणवत्ता का उत्पादन करे तो वह करोड़ों का मालिक बन सकता है|